राजपूत के नाम के पीछे सिंह
क्यों लगता है?
इस युग में राजपूत को शेर इस लिए
कहा गया है
की वो "अघोषित विजेता" है
क्योकि शेर अपने
प्रहार करने
की क्षमता शक्ति के बल पर राज
करता है उसे
किसी के चुनाव की जरुरत
नहीं पड़ती,ठीक
राजपूत
भी वही है
जो अपनी लड़ने
की क्षमता सोर्य और साहस के दम पर
विजय प्राप्त
करता है, और पुरे विश्व में एक राजपूत
कोम
ही ऐसी है जिसके नाम के
पीछे सिंह लगता हैं ..
♚ हम राजा हैं हमें शराफत से राज करने
दो.......
अगर हम महाराजा बनें तो,,.हर दुश्मन
का जीना हराम कर देगें ♚...!!!
जब हम सिंहासन पर बैठते है तो,राजा कहलाते
है !
जब हम घोङे पर सवार होते तो,
योध्दा कहलाते है !
जब हम किसी की जान बचाते
है तो, श्रत्रिय
कहलाते है!
जब हम किसी को वचन देते है
तो "राजपुत"
कहलाते है !
" मेरा कत्ल कर दो
कोई शिकवा ना होगा,
मुजे धोखा दे दो
कोई बदला न होगा,
पर अगर जो आँख उठी मेरे वतन ए
हिन्दुस्तान
पे,
तो फिर
तलवार उठेगी और फिर कोई समझौता न
होगा...!! "
हमारी शक्सियत का अंदाज़ा तुम
क्या लगाओगे गालिब..,
के हम तो कब्रीस्तान से
भी गुज़रते है तो मुर्दे
उठ
कर कहते है...
"जय माताजी जी बना"
सर पे हे केसरिया साफा '
मुख पे हे सोने सी आभा'
जब हाथ मे लेते हे' तलवार
दुनिया करती हे '
कोटि कोटि प्रणाम'
अपनी माँ के सच्चे पुत '
इसलिए कहते हमको क्षत्रिय राजपुत'
जो मचछर से डर जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।
जो शेर से लड जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।।
लेिकन एक अजब खून का
जलवा तो गजब पुत का होता है!!
जो मौत को भी ललकारे वो खून
राजपुत का होता है !
जमाने ने राजपूतो के उसूल तो बदल दिए"
पर
"खून और दादागिरी आज
भी वो ही है.. ।।
झुंड मे रहने वालो आजमा कर
देखना कभी हमारी छाती पर
फौलाद
भी पिघलता है।
शेर सा जिगरा है "राजपूत"
हमेसा अकेला निकलता है।
गुलामी तो हम सिर्फ अपने माँ बाप
की करते
है .!!
दुनिया के लिये तो कल भी बादशाह थे और
आज
भी..!!
राजपूत उस बारिश का नाम नही जो बरसे और
थम जाये।
राजपूत वो सूरज नही है जो चमके और
डुब
जाये।
राजपूत नाम है उस साॅस का।
जो चले तो जिंदगी और थमे तो मौत बन
जाये।...........
अभी तक हम इतने
भी मामूली नहीं हुए...."
कि.....
किसी के दिल में बसना चाहे और वो इनकार
कर
दे...."
जो मिटा सके हमारी शोहरत के पन्ने.......
वो दम किसी में कहाँ.
शूक्र है तलवारें म्यान के अन्दर है वरना.
जो टिक
सके हमारें सामने वो सर कहाँ !!!
रानी नहीं तो क्या हूआ..
यह राजा आज
भी लाखों दिलों पर राज करता हैं.!!
बंदुक और तलवार जैसै खिलेोने बाजार मे बहुत
बिकते है ।।
पर उसे चलाने का जिगर
दुिनया के किसी भी बाजार मे
नही बिकता ----->
"मदॅ" उसे लेकर पैदा होता हे.... ॥
किसी ने पुछा
राजपूत
की जनसंख्या इतनी कम
क्यों है ???
राजपूत ने उतर देते हुए कहा - यह
प्रकृति का नियम
है यदि शेरों (राजपूत)
को बढा दिया जाए
तो दुसरी प्रजातियाँ खतरे मे पड़
जाएगी ।।
कोशिश तो सब करते है, लेकिन सबको हासिल
ताज नही होता ।
शोहरत तो कोई भी कमा ले, पर
बन्ना वाला अंदाज नही होता ।
उस दिन भी कहा था
आज भी कह रहा हु...
"उम्र छोटी है लेकिन
जज्बा दुनिया को मुट्ठी में
मेरी दुश्मनी का नुकसान सह
नही पाओग.....
हथियार तो सिर्फ शौक के लिए रखा करते है,
वरना किसी के मन में खौंफ पेदा करने के लिए
तो बस "नाम"
ही काफी हे.........
लोग कहते है तुजे तेरी "
बन्ना गीरी"
एक दिन मरवायेंगी...
मैने प्यार से कहा- क्या करु ?
सबको " बन्ना गीरी
आती नही और
मेरी जाती नही !......
..सिंह का मुखोटा लगाकर कोई शेर
नहीं बनता...
भाला उठाकर कोई राणा प्रताप
नहीं बनता...
रणभूमी में पता चलता हे योद्धाओ का...
मुछो की मरोड़ी लगाने से कोई
राजपूत
नहीं बनता...
कुछ हुनर खून में होते हे सिखाये
नहीं जाते...
यु दंड बैठक लगाने से कलेजा राजपूत
का नहीं बनता..,,,,
कुँवर विकृम सिंह ठिक
- Divyarajsinh Sodha (WhatsApp Massage)
क्यों लगता है?
इस युग में राजपूत को शेर इस लिए
कहा गया है
की वो "अघोषित विजेता" है
क्योकि शेर अपने
प्रहार करने
की क्षमता शक्ति के बल पर राज
करता है उसे
किसी के चुनाव की जरुरत
नहीं पड़ती,ठीक
राजपूत
भी वही है
जो अपनी लड़ने
की क्षमता सोर्य और साहस के दम पर
विजय प्राप्त
करता है, और पुरे विश्व में एक राजपूत
कोम
ही ऐसी है जिसके नाम के
पीछे सिंह लगता हैं ..
♚ हम राजा हैं हमें शराफत से राज करने
दो.......
अगर हम महाराजा बनें तो,,.हर दुश्मन
का जीना हराम कर देगें ♚...!!!
जब हम सिंहासन पर बैठते है तो,राजा कहलाते
है !
जब हम घोङे पर सवार होते तो,
योध्दा कहलाते है !
जब हम किसी की जान बचाते
है तो, श्रत्रिय
कहलाते है!
जब हम किसी को वचन देते है
तो "राजपुत"
कहलाते है !
" मेरा कत्ल कर दो
कोई शिकवा ना होगा,
मुजे धोखा दे दो
कोई बदला न होगा,
पर अगर जो आँख उठी मेरे वतन ए
हिन्दुस्तान
पे,
तो फिर
तलवार उठेगी और फिर कोई समझौता न
होगा...!! "
हमारी शक्सियत का अंदाज़ा तुम
क्या लगाओगे गालिब..,
के हम तो कब्रीस्तान से
भी गुज़रते है तो मुर्दे
उठ
कर कहते है...
"जय माताजी जी बना"
सर पे हे केसरिया साफा '
मुख पे हे सोने सी आभा'
जब हाथ मे लेते हे' तलवार
दुनिया करती हे '
कोटि कोटि प्रणाम'
अपनी माँ के सच्चे पुत '
इसलिए कहते हमको क्षत्रिय राजपुत'
जो मचछर से डर जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।
जो शेर से लड जाता है,
उसका खून भी लाल होता है।।
लेिकन एक अजब खून का
जलवा तो गजब पुत का होता है!!
जो मौत को भी ललकारे वो खून
राजपुत का होता है !
जमाने ने राजपूतो के उसूल तो बदल दिए"
पर
"खून और दादागिरी आज
भी वो ही है.. ।।
झुंड मे रहने वालो आजमा कर
देखना कभी हमारी छाती पर
फौलाद
भी पिघलता है।
शेर सा जिगरा है "राजपूत"
हमेसा अकेला निकलता है।
गुलामी तो हम सिर्फ अपने माँ बाप
की करते
है .!!
दुनिया के लिये तो कल भी बादशाह थे और
आज
भी..!!
राजपूत उस बारिश का नाम नही जो बरसे और
थम जाये।
राजपूत वो सूरज नही है जो चमके और
डुब
जाये।
राजपूत नाम है उस साॅस का।
जो चले तो जिंदगी और थमे तो मौत बन
जाये।...........
अभी तक हम इतने
भी मामूली नहीं हुए...."
कि.....
किसी के दिल में बसना चाहे और वो इनकार
कर
दे...."
जो मिटा सके हमारी शोहरत के पन्ने.......
वो दम किसी में कहाँ.
शूक्र है तलवारें म्यान के अन्दर है वरना.
जो टिक
सके हमारें सामने वो सर कहाँ !!!
रानी नहीं तो क्या हूआ..
यह राजा आज
भी लाखों दिलों पर राज करता हैं.!!
बंदुक और तलवार जैसै खिलेोने बाजार मे बहुत
बिकते है ।।
पर उसे चलाने का जिगर
दुिनया के किसी भी बाजार मे
नही बिकता ----->
"मदॅ" उसे लेकर पैदा होता हे.... ॥
किसी ने पुछा
राजपूत
की जनसंख्या इतनी कम
क्यों है ???
राजपूत ने उतर देते हुए कहा - यह
प्रकृति का नियम
है यदि शेरों (राजपूत)
को बढा दिया जाए
तो दुसरी प्रजातियाँ खतरे मे पड़
जाएगी ।।
कोशिश तो सब करते है, लेकिन सबको हासिल
ताज नही होता ।
शोहरत तो कोई भी कमा ले, पर
बन्ना वाला अंदाज नही होता ।
उस दिन भी कहा था
आज भी कह रहा हु...
"उम्र छोटी है लेकिन
जज्बा दुनिया को मुट्ठी में
रखने का रखता हूँ
मेरी दोस्ती का फायदा उठा लेना क्युंकीमेरी दुश्मनी का नुकसान सह
नही पाओग.....
हथियार तो सिर्फ शौक के लिए रखा करते है,
वरना किसी के मन में खौंफ पेदा करने के लिए
तो बस "नाम"
ही काफी हे.........
लोग कहते है तुजे तेरी "
बन्ना गीरी"
एक दिन मरवायेंगी...
मैने प्यार से कहा- क्या करु ?
सबको " बन्ना गीरी
आती नही और
मेरी जाती नही !......
..सिंह का मुखोटा लगाकर कोई शेर
नहीं बनता...
भाला उठाकर कोई राणा प्रताप
नहीं बनता...
रणभूमी में पता चलता हे योद्धाओ का...
मुछो की मरोड़ी लगाने से कोई
राजपूत
नहीं बनता...
कुछ हुनर खून में होते हे सिखाये
नहीं जाते...
यु दंड बैठक लगाने से कलेजा राजपूत
का नहीं बनता..,,,,
कुँवर विकृम सिंह ठिक
- Divyarajsinh Sodha (WhatsApp Massage)
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