Showing posts with label રાજપુત સમાજ ની વાત. Show all posts
Showing posts with label રાજપુત સમાજ ની વાત. Show all posts

Sunday 21 August 2016

આજ શરાબ કા સચ - વીર રાજપુત કિ કહાની...

आज शराब का सच
हिंदू धर्म ग्रंथ नहीँ कहते कि देवी को शराब चढ़ाई जाये.., ग्रंथ नहीँ कहते की शराब पीना ही क्षत्रिय धर्म है.. ये सिर्फ़ एक मुग़लों की साजिश थी हिंदुओं को कमजोर करने की ! जानिये एक अनकही ऐतिहासिक घटना...

"एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...."

कैसे हिंदुओं की सुरक्षा प्राचीर को ध्वस्त किया मुग़लों ने ??

जानिये और फिर सुधार कीजिये !!

मुगल बादशाह का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे , उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की "है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में ?"
सभा में सन्नाटा सा पसर गया ,एक बार फिर वही दोहराया गया ! तीसरी बार फिर उसने ख़ुशी से चिल्ला कर कहा "है कोई हमसे बहादुर जो हिंदुस्तान पर सल्तनत कायम कर सके ??

सभा की खामोशी तोड़ती एक बुलन्द शेर सी दहाड़ गूंजी तो सबका ध्यान उस शख्स की और गया ! वो जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल थे !

रिड़मल जी ने कहा, "मुग़लों में बहादुरी नहीँ कुटिलता है..., सबसे बहादुर तो राजपूत है दुनियाँ में,मुगलो ने राजपूतो को आपस में लड़वा कर हिंदुस्तान पर राज किया !
कभी सिसोदिया राणा वंश को कछावा जयपुर से तो कभी राठोड़ो को दूसरे राजपूतो से...।

बादशाह का मुँह देखने लायक था , ऐसा लगा जैसे किसी ने चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो ।

"बाते मत करो राव...उदाहरण दो वीरता का ।"
रिड़मल ने कहा "क्या किसी कौम में देखा है किसी को सिर कटने के बाद भी लड़ते हुए ??"

बादशाह बोला ये तो सुनी हुई बात है देखा तो नही ,रिड़मल बोले " इतिहास उठाकर देख लो कितने वीरो की कहानिया है सिर कटने के बाद भी लड़ने की ... "

बादशाह हसा और दरबार में बेठे कवियों की और देखकर बोला "इतिहास लिखने वाले तो मंगते होते है में भी 100 मुगलो के नाम लिखवा दूँ इसमें क्या ? मुझे तो जिन्दा ऐसा राजपूत बताओ जो कहे की मेरा सिर काट दो में फिर भी लड़ूंगा ।"

राव रिड़मल निरुत्तर हो गए और गहरे सोच में डूब गए ।
रात को सोचते सोचते अचानक उनको रोहणी ठिकाने के जागीरदार का ख्याल आया ।

रात को 11 बजे रोहणी ठिकाना (जो की जेतारण कस्बे जोधपुर रियासत) में दो घुड़सवार बुजुर्ग जागीरदार के पोल पर पहुंचे और मिलने की इजाजत मांगी । ठाकुर साहब काफी वृद अवस्था में थे फिर भी उठ कर मेहमान की आवभक्त के लिए बाहर पोल पर आये ,, घुड़सवारों ने प्रणाम किया और वृद ठाकुर की आँखों में चमक सी उभरी और मुस्कराते हुए बोले " जोधपुर महाराज... आपको मैंने गोद में खिलाया है और अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी है.. इस तरह भेष बदलने पर भी में आपको आवाज से पहचान गया हूँ ।
हुकम आप अंदर पधारो...मैं आपकी रियासत का छोटा सा जागीरदार, आपने मुझे ही बुलवा लिया होता ।

राव रिड़मल ने उनको झुककर प्रणाम किया और बोले एक समस्या है , और बादशाह के दरबार की पूरी कहानी सुना दी, अब आप ही बताये की जीवित योद्धा का कैसे पता चले की ये लड़ाई में सिर कटने के बाद भी लड़ेगा ?

रोहणी जागीदार बोले ," बस इतनी सी बात..मेरे दोनों बच्चे सिर कटने के बाद भी लड़ेंगे और आप दोनों को ले जाओ दिल्ली दरबार में ये आपकी और रजपूती की लाज जरूर रखेंगे "

राव रिड़मल को घोर आश्चर्य हुआ कि एक पिता को कितना विश्वास है अपने बच्चो पर.. , मान गए राजपूती धर्म को ।

सुबह जल्दी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़ो के साथ तैयार थे!
उसी समय ठाकुर साहब ने कहा ," महाराज थोडा रुकिए में एक बार इनकी माँ से भी कुछ चर्चा कर लूँ इस बारे में ।"
राव रिड़मल ने सोचा आखिर पिता का ह्रदय है कैसे मानेगा अपने दोनों जवान बच्चो के सिर कटवाने को , एक बार रिड़मल जी ने सोचा की मुझे दोनों बच्चो को यही छोड़कर चले जाना चाहिए ।

ठाकुर साहब ने ठकुरानी जी को कहा " आपके दोनों बच्चो को दिल्ली मुगल बादशाह के दरबार में भेज रहा हूँ सिर कटवाने को , दोनों में से कौनसा सिर कटने के बाद भी लड़ सकता है ? आप माँ हो आपको ज्यादा पता होगा !

ठकुरानी जी ने कहा बड़ा लड़का तो क़िले और क़िले के बाहर तक भी लड़ लेगा पर छोटा केवल परकोटे में ही लड़ सकता है क्योंकि पैदा होते ही इसको मेरा दूध नही मिला था।।

लड़ दोनों ही सकते है ,आप निश्चित् होकर भेज दो ।

दिल्ली के दरबार में आज कुछ विशेष भीड़ थी और हजारो लोग इस द्रश्य को देखने जमा थे ।
बड़े लड़के को मैदान में लाया गया और मुगल बादशाह ने जल्लादो को आदेश दिया की इसकी गर्दन उड़ा दो..

तभी बीकानेर महाराजा बोले "ये क्या तमाशा है ? राजपूती इतनी भी सस्ती नही हुई है , लड़ाई का मोका दो और फिर देखो कौन बहादुर है ?

बादशाह ने खुद के सबसे मजबूत और कुशल योद्धा बुलाये और कहा ये जो घुड़सवार मैदान में खड़ा है उसका सिर् काट दो...

20 घुड़सवारों को दल रोहणी ठाकुर के बड़े लड़के का सिर उतारने को लपका और देखते ही देखते उन 20 घुड़सवारों की लाशें मैदान में बिछ गयी ।
दूसरा दस्ता आगे बढ़ा और उसका भी वही हाल हुआ , मुगलो में घबराहट और झुरझरि फेल गयी ,इसी तरह बादशाह के 500 सबसे ख़ास योद्धाओ की लाशें मैदान में पड़ी थी और उस वीर राजपूत योद्धा के तलवार की खरोंच भी नही आई ।।
ये देख कर मुगल सेनापति ने कहा " 500 मुगल बीबियाँ विधवा कर दी आपकी इस परीक्षा ने अब और मत कीजिये हजुर , इस काफ़िर को गोली मरवाईए हजुर... तलवार से ये नही मरेगा...

कुटिलता और मक्कारी से भरे मुगलो ने उस वीर के सिर में गोलिया मार दी । सिर के परखचे उड़ चुके थे पर धड़ ने तलवार की मजबूती कम नही करी और मुगलो का कत्लेआम खतरनाक रूप से चलते रहा ।

बादशाह ने छोटे भाई को अपने पास निहथे बेठा रखा था ये सोच कर की यदि ये बड़ा यदि बहादुर निकला तो इस छोटे को कोई जागीर दे कर अपनी सेना में भर्ती कर लूंगा लेकिन जब छोटे ने ये अंन्याय देखा तो उसने झपटकर बादशाह की तलवार निकाल ली ।
उसी समय बादशाह के अंगरक्षकों ने उनकी गर्दन काट दी फिर भी धड़ तलवार चलाता गया और अंगरक्षकों समेत मुगलो का काल बन गए ।
बादशाह भाग कर कमरे में छुप गया और बाहर मैदान में बड़े भाई और अंदर परकोटे में छोटे भाई का पराक्रम देखते ही बनता था । हजारो की संख्या में मुगल हताहत हो चुके थे और आगे का कुछ पता नही था ।
बादशाह ने चिल्ला कर कहा अरे कोई रोको इनको..।
एक मौलवी आगे आया और बोला इन पर शराब छिड़क दो ।। राजपूत का इष्ट कमजोर करना हो तो शराब का उपयोग करो।
दोनों भाइयो पर शराब छिड़की गयी ऐसा करते ही दोनों के शरीर ठन्डे पड़ गए ।

मौलवी ने बादशाह को कहा " हजुर ये लड़ने वाला इनका शरीर नही बल्कि इनका इष्ट देवी है और ये राजपूत शराब से दूर रहते है और अपने धर्म और इष्ट को मजबूत रखते है ।
यदि मुगलो को हिन्दुस्तान पर शासन करना है तो इनका इष्ट और धर्म भृष्ट करो और इनमे दारु शराब की लत लगाओ ।। यदि मुगलो में ये कमियां हटा दे तो मुगल भी मजबूत बन जाएंगे ।

उसके बाद से ही राजपूतो में मुगलो ने शराब का प्रचलन चलाया और धीरे धीरे राजपूत शराब में डूबते गए और आज तक इस शराब मे कितने ही राजघराने डूब गए हे फिर भी पीते गए अपनी इष्ट देवी को नाराज करते गए ।
और मुगलो ने मुसलमानो को कसम खिलवाई की शराब पीने के बाद नमाज नही पढ़ी जा सकती । इसलिए इससे  दूर रहिये ।।

हमे हिन्दू समाज को इस कुरीति से दूर करना होगा । तब ही हम पुनः खोया वैभव पा सकेंगे और हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकेंगे.

- Bansal ShailRanjan

www.jmdcomputerindia.com

 
Design and Bloggerized by JMD Computer