Monday 18 April 2022

हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं ?

हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं ?

 नहीं तो जानिये, 

शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा ?

 

पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, 

पर यह कब लिखा गया, इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी।


बात 1600 ईस्वी की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था।



एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं।


यह सुन कर 

उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। 

जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं ??


तब बीरबल ने अकबर को बताया कि इन्होंने ही रामचरितमानस का अनुवाद किया है।

यह रामभक्त तुलसीदास जी हैं। 

मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ अद्भुत और अलौकिक छवि है इनकी। 


अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।


बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और  तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। 


यह पैगाम सुन कर तुलसीदास जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे बादशाह और लालकिले से क्या लेना-देना और 

वे लालकिले जाने के लिए  साफ मना कर दिये। 


जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो उसे बहुत बुरी लगी 

और बादशाह अकबर गुस्से में लाल-लाल हो गया, और उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़बा कर लाल किला लाने का आदेश दिया। 


हालांकि 

अकबर को यैसा नहीं करने की सलाह बीरबल ने दी, 

किन्तु अकबर नहीं माना

और तुलसीदास जी को जंजीरों से बाँध कर लाने का फरमान सुना दिया। 


तुलसीदास जी को जंजीरों से जकड़ लालकिला लाया गया तो अकबर ने कहा की आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ और छूट जाओ। 


तुलसीदास जी ने कहा-

मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ कोई जादूगर नही हूँ, जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। 


अकबर यह सुन कर और आगबबूला हो गया 

और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।


दूसरे दिन इसी आगरा के लालकिले पर लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया, पूरा का किला तहस-नहस कर डाला । 


लालकिले में चारो ओर त्राहि-त्राहि मच गई, तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा कि बीरबल यह क्या हो रहा है, 

तब बीरबल ने कहा हुज़ूर मैंने आपको पहले ही आगाह किया था 

किंतु आप माने नहीं 

और आप करिश्मा देखना चाहते थे तो देखिये।


अकबर ने तुरंत तुलसीदास जी को काल कोठरी से निकलवाया। और 

जंजीरे खोल दी गई। 

तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा मुझे बिना अपराध के सजा मिली है।


मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया, 

मैं रोता जा रहा था। 

और रोते-रोते मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। 

यह 40 चौपाई, 

हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं। 

कारागार से छूटने के बाद तुलसीदास जी ने कहा जैसे हनुमान जी ने मुझे कारागार के कष्टों से छुड़वाकर मेरी सहायता की है, उसी तरह जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में  होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। 



इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।


अकबर बहुत लज्जित हुआ और तुलसीदास जी से माफ़ी मांगी और पूरी इज़्ज़त और पूरी हिफाजत, लाव-लश्कर से मथुरा भिजवाया।


आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं। 

और 

हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है। 

और सभी के संकट दूर हो रहे हैं। 

हनुमान जी को इसीलिए "संकट मोचन" भी कहा जाता है।


ऐसी ही संस्कारित और प्रेरक पोस्ट अपने मित्रों तक भी पहुचायें, कृपया अधिक से अधिक शेयर करें।

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